Raksha Bandhan 2024: रक्षाबंधन कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है जाने पूरा इतिहास
Raksha Bandhan 2024, जिसे राखी भी कहते हैं, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो मुख्या रूप से भारत और नेपाल में मनाया जाता है। इस साल यहाँ त्योहार 19 अगस्त 2024 को मनाया जायेगा।
यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को मनाता है। इस दिन, बहन अपने भाई की कलाई पर एक रक्षा सूत्र बांधती है, जिसे “राखी” कहते हैं। इसके बदले में, भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं और अपनी बहन की रक्षा और समर्थन का वादा करते हैं।
Raksha Bandhan 2024 का शुभ मुहूर्त कब है?
पंचांग के अनुसार, राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 19 अगस्त दोपहर 01:30 से लेकर रात 09:07 तक रहेगा. कुल मिलाकर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 07 घंटे 37 मिनट तक का होगा.
रिवाज और परंपराएं:
- राखी बांधना मुख्य रिवाज में बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है। यह धागा उसकी प्रार्थनाओं और भाई की सुरक्षा का प्रतीक होता है।
- उपहार और मिठाइयाँ: भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं, जो पैसे से लेकर कपडे या कोई बहन की पसंद का गिफ्ट होता है। खास मिठाइयाँ और त्योहारी भोजन भी इस अवसर पर घर में बनाया जाता हैं।
- पूजा: एक छोटी सी पूजा या पूजा अर्चना की जाती है, जिसमें बहन अपने भाई की समृद्धि और खुशी के लिए प्रार्थना करती है।
- सांस्कृतिक विविधताएँ: हालांकि भाई-बहन के रिश्ते की बुनियाद एक जैसी रहती है, रक्षाबंधन की मनाने की परंपरा विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न होती है। कुछ हिस्सों में, यह त्योहार दोस्तों और रिश्तेदारों के बीच भी मनाया जाता है।
- आधुनिक उत्सव: आजकल, रक्षाबंधन का जश्न कजिन, दोस्तों और यहां तक कि गैर-परंपरागत संदर्भों में भी मनाया जाता है। यह परिवारिक एकता और स्नेह का समय होता है, जो आमतौर पर भाई-बहन के रिश्तों से आगे बढ़ जाता है।
Raksha Bandhan 2024 कब से और क्यों मनाया जाता है?
यह त्योहार 19 अगस्त 2024 के महीने की पूर्णिमा को पड़ता है जो हिंदू कैलेंडर के श्रावण मास का अंतिम दिन होता है।
रक्षाबंधन से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ हैं, जिनमें देवी-देवताओं और ऐतिहासिक व्यक्तित्वों की कहानियाँ शामिल हैं, जो इसके सांस्कृतिक महत्व को दर्शाती हैं। एक प्रसिद्ध कहानी है कि कैसे देवी द्रौपदी ने भगवान कृष्ण को राखी बांधी, जिन्होंने उनकी रक्षा की।
Raksha Bandhan 2024 से जुडी कहानियां? Raksha bandhan history?
रक्षाबंधन के त्योहार की कई पौराणिक कथाएँ और ऐतिहासिक कहानियाँ हैं, जो इस पर्व के महत्व और इसकी सांस्कृतिक जड़ों को दर्शाती हैं। यहाँ कुछ प्रमुख कहानियाँ हैं:
1. द्रौपदी और कृष्ण की कहानी:
महाभारत की एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, द्रौपदी, जो पांडवों की पत्नी थीं, ने एक बार भगवान कृष्ण को राखी बांधी थी। एक बार जब द्रौपदी की चीर-हरण की घटना हुई थी, तब भगवान कृष्ण ने उनकी सहायता की और उनकी इज्जत की रक्षा की। इस घटना के बाद, द्रौपदी ने कृष्ण को राखी बांधी और कृष्ण ने उन्हें यह वादा किया कि वह उनकी रक्षा हमेशा करेंगे। यह कहानी भाई-बहन के रिश्ते और उनकी रक्षा के महत्व को दर्शाती है।
2. राजा बलि और लक्ष्मी की कहानी:
एक और पौराणिक कथा के अनुसार, रक्षाबंधन का त्योहार राजा बलि के साथ जुड़ा हुआ है, जो असुरों का राजा था और जिनकी भक्ति और सौम्यता के कारण भगवान विष्णु ने उन्हें अमरता का वरदान दिया था। जब भगवान विष्णु ने बलि को पाताललोक भेजने का निर्णय लिया, तो रानी लक्ष्मी ने बलि को राखी बांधकर उनसे प्रार्थना की कि वह उनके भाई की तरह उसका ध्यान रखें। बलि ने लक्ष्मी की प्रार्थना स्वीकार की और वचन दिया कि वह अपनी बहन की रक्षा करेगा। यह कथा रक्षाबंधन के पर्व को भाई-बहन के रिश्ते की मजबूती से जोड़ती है।
3. अहिल्या और सागर मंथन:
कहानी के अनुसार, जब देवताओं और दैत्यों ने समुद्र मंथन किया, तो अमृत प्राप्त हुआ। देवताओं ने इस अमृत को प्राप्त करने के लिए भगवान विष्णु की मदद ली। इस समय, अहिल्या, जो एक पतिव्रता महिला थीं, ने भगवान विष्णु की पूजा की और अपनी राखी बांधी। भगवान विष्णु ने अहिल्या की रक्षा का वादा किया और उन्हें अमृत का हिस्सा देने की व्यवस्था की। यह कथा इस बात को दर्शाती है कि राखी बांधने की परंपरा का ऐतिहासिक महत्व है और इसका संबंध भगवान विष्णु की पूजा से भी है।
इन कहानियों के माध्यम से रक्षाबंधन के त्योहार की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वता को समझा जा सकता है। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते की मिठास और सुरक्षा की भावना को व्यक्त करता है।
भद्राकाल में राखी क्यों नहीं बांधी जाती?
शास्त्रों के अनुसार, भद्रा के समय में शुभ कार्य नहीं करने चाहिए. भद्रा की शुरुआत 18 अगस्त 2024 की रात 2:21 मिनट पर होगी और इसका समापन 19 अगस्त 2024 को दोपहर 1:24 मिनट पर होगा. इस समय तक राखी बांधने के लिए शुभ समय नहीं है. भद्रा का समय खत्म होते ही अपने भाई की कलाई पर राखी बांध सकते हैं.
यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते की मिठास और कर्तव्य को याद दिलाने वाला है और इसे खुशी, रंग और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है।
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