Vastu for Main Entrance: मुख्य द्वार की सही दिशा, रंग और वास्तु उपाय

Vastu for main entrance

क्या आपने कभी सोचा है कि आपके घर का मुख्य द्वार सिर्फ एक प्रवेश द्वार से कहीं बढ़कर है? यह आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा, खुशी और समृद्धि का प्रवेश बिंदु है। वास्तु शास्त्र में, Vastu for main entrance (मुख्य प्रवेश द्वार के वास्तु) को अत्यधिक महत्व दिया जाता है क्योंकि यह माना जाता है कि घर की सारी ऊर्जा इसी द्वार से अंदर आती है। आपके मुख्य द्वार की सही दिशा, रंग और स्थान आपके जीवन में एक बड़ा और सकारात्मक बदलाव ला सकता है।

इस विस्तृत ब्लॉग पोस्ट में, हम मुख्य प्रवेश द्वार के वास्तु से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात पर चर्चा करेंगे। Vastu for main entrance के नियमों को समझना और लागू करना बहुत आसान है। हम आपको वास्तु अनुसार मुख्य द्वार के लिए सर्वोत्तम दिशा, रंग और सजावट के बारे में बताएंगे, ताकि आपके घर में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहे। तो, चलिए शुरू करते हैं और जानते हैं कि कैसे आप अपने घर के प्रवेश द्वार वास्तु को सही बनाकर अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि ला सकते हैं।

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Vastu for Main Entrance: मुख्य द्वार की सही दिशा, रंग और वास्तु उपाय

मुख्य प्रवेश द्वार के लिए वास्तु: एक सिंहावलोकन

वास्तु शास्त्र क्या है?

वास्तु शास्त्र वास्तुकला का एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो हमें बताता है कि किसी भी भवन का निर्माण कैसे किया जाना चाहिए ताकि वहां रहने वाले लोगों के जीवन में सकारात्मकता और खुशहाली आए। यह विज्ञान प्रकृति के पांच तत्वों – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश – के बीच संतुलन स्थापित करने पर आधारित है।

वास्तु में मुख्य प्रवेश द्वार इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

वास्तु में मुख्य प्रवेश द्वार को “सिंह द्वार” भी कहा जाता है और इसे घर का मुंह माना जाता है। जिस तरह हमारे मुंह से हमारे शरीर में ऊर्जा का प्रवेश होता है, उसी तरह मुख्य द्वार से घर में ऊर्जा का प्रवेश होता है।

यदि मुख्य द्वार सही वास्तु के अनुसार बनाया गया है, तो घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, जो स्वास्थ्य, धन और रिश्तों में सुधार लाता है। वहीं, अगर मुख्य द्वार में वास्तु दोष है, तो यह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकता है, जिससे घर में परेशानियां और समस्याएं आ सकती हैं।

मुख्य प्रवेश द्वार के लिए सर्वोत्तम दिशाएं

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वास्तु के अनुसार, मुख्य प्रवेश द्वार के लिए कुछ दिशाएं बहुत शुभ मानी जाती हैं। आइए इन दिशाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं:

उत्तर (North)

उत्तर दिशा को धन के देवता कुबेर की दिशा माना जाता है। इसलिए, इस दिशा में मुख्य द्वार होना बहुत शुभ होता है। यह घर में धन और समृद्धि को आकर्षित करता है।

ईशान (Northeast)

ईशान कोण को देवताओं की दिशा माना जाता है। यह दिशा आध्यात्मिक विकास और शांति के लिए बहुत अच्छी है। इस दिशा में मुख्य द्वार होने से घर में शांति और सद्भाव बना रहता है।

पूर्व (East)

पूर्व दिशा सूर्य की दिशा है, जो हमें ऊर्जा और प्रकाश प्रदान करता है। इस दिशा में मुख्य द्वार होने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

पश्चिम (West)

पश्चिम दिशा भी मुख्य द्वार के लिए एक अच्छी दिशा मानी जाती है। यह दिशा स्थिरता और सफलता लाती है, खासकर उन लोगों के लिए जो व्यवसाय में हैं।

मुख्य प्रवेश द्वार के लिए अशुभ दिशाएं और उनके उपाय

कुछ दिशाएं मुख्य प्रवेश द्वार के लिए अशुभ मानी जाती हैं। यदि आपके घर का मुख्य द्वार इन दिशाओं में है, तो चिंता न करें, क्योंकि वास्तु में हर समस्या का समाधान है।

दक्षिण (South)

दक्षिण दिशा को यम की दिशा माना जाता है, इसलिए इस दिशा में मुख्य द्वार होना अच्छा नहीं माना जाता है।

  • उपाय: यदि आपका मुख्य द्वार दक्षिण दिशा में है, तो आप दरवाजे पर एक हनुमान जी की तस्वीर या यंत्र लगा सकते हैं। दरवाजे के बाहर एक पिरामिड रखने से भी नकारात्मक ऊर्जा कम होती है।

नैऋत्य (Southwest)

नैऋत्य कोण को राक्षसों की दिशा माना जाता है। इस दिशा में मुख्य द्वार होने से घर में नकारात्मकता और समस्याएं आ सकती हैं।

  • उपाय: इस दिशा के दोष को दूर करने के लिए, आप मुख्य द्वार पर गायत्री मंत्र या ‘ॐ’ का प्रतीक लगा सकते हैं। दरवाजे पर भूरे या पीले रंग का प्रयोग करें।

आग्नेय (Southeast)

आग्नेय कोण अग्नि की दिशा है। इस दिशा में मुख्य द्वार होने से घर में कलह और स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

  • उपाय: इस दिशा के दोष को दूर करने के लिए, आप दरवाजे पर तांबे का स्वास्तिक लगा सकते हैं। दरवाजे का रंग हल्का पीला या क्रीम रखें।

वायव्य (Northwest)

वायव्य कोण वायु की दिशा है। इस दिशा में मुख्य द्वार होने से अस्थिरता और मानसिक तनाव हो सकता है।

  • उपाय: इस दिशा के दोष को दूर करने के लिए, आप दरवाजे पर चंद्र यंत्र लगा सकते हैं। दरवाजे पर सफेद या हल्का नीला रंग करवाएं।

फ्लैट और अपार्टमेंट में मुख्य प्रवेश द्वार के लिए वास्तु

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आजकल ज्यादातर लोग फ्लैट और अपार्टमेंट में रहते हैं, जहां मुख्य द्वार की दिशा बदलना संभव नहीं होता है। ऐसे में, आप कुछ सरल वास्तु उपायों को अपनाकर अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा ला सकते हैं:

  • सकारात्मक प्रतीक: अपने मुख्य द्वार पर ‘ॐ’, ‘स्वस्तिक’ या ‘कलश’ जैसे शुभ प्रतीक लगाएं।
  • तोरण: आम के पत्तों या फूलों का तोरण दरवाजे पर लगाएं। यह नकारात्मक ऊर्जा को घर में प्रवेश करने से रोकता है।
  • रंगोली: मुख्य द्वार के सामने सुंदर रंगोली बनाएं। यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है।
  • प्रकाश: मुख्य द्वार पर हमेशा अच्छी रोशनी रखें। अंधेरा नकारात्मकता को बढ़ाता है।

मुख्य प्रवेश द्वार वास्तु के पीछे का विज्ञान और तर्क

वास्तु शास्त्र केवल मान्यताओं पर आधारित नहीं है, इसके पीछे वैज्ञानिक और तार्किक कारण भी हैं। उदाहरण के लिए, उत्तर-पूर्व दिशा में मुख्य द्वार बनाने की सलाह इसलिए दी जाती है क्योंकि इस दिशा से सुबह की पहली किरणें घर में आती हैं, जो विटामिन डी का एक अच्छा स्रोत हैं और स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद हैं। इसी तरह, हवा का प्रवाह और प्राकृतिक प्रकाश का सही उपयोग भी वास्तु के सिद्धांतों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मुख्य द्वार के लिए वास्तु

मुख्य द्वार की दिशा के साथ-साथ, इसका डिज़ाइन, सामग्री और रंग भी वास्तु में बहुत महत्वपूर्ण हैं।

सामग्री (Material)

  • लकड़ी: मुख्य द्वार के लिए लकड़ी सबसे अच्छी सामग्री मानी जाती है। शीशम, सागौन या आम की लकड़ी का उपयोग करना शुभ होता है।
  • धातु: यदि आपका मुख्य द्वार पश्चिम दिशा में है, तो आप धातु के दरवाजे का उपयोग कर सकते हैं।

रंग (Color)

मुख्य द्वार का रंग उसकी दिशा के अनुसार होना चाहिए:

दिशा (Direction)शुभ रंग (Auspicious Colors)
उत्तर (North)हरा, पिस्ता
ईशान (Northeast)हल्का नीला, पीला
पूर्व (East)सफेद, हल्का नीला
पश्चिम (West)नीला, सफेद
दक्षिण (South)भूरा, नारंगी, लाल
नैऋत्य (Southwest)पीला, क्रीम
आग्नेय (Southeast)सिल्वर, नारंगी
वायव्य (Northwest)सफेद, क्रीम

आकार और आकृति (Size and Shape)

  • मुख्य द्वार घर के अन्य दरवाजों से बड़ा होना चाहिए।
  • यह दो पल्लों वाला होना चाहिए और अंदर की ओर खुलना चाहिए।
  • दरवाजे की आकृति आयताकार होनी चाहिए। गोल या त्रिकोणीय दरवाजे से बचें।

सजावट (Decorations)

  • नेमप्लेट: मुख्य द्वार पर एक सुंदर और साफ-सुथरी नेमप्लेट लगाएं।
  • तोरण: त्योहारों और विशेष अवसरों पर आम के पत्तों और गेंदे के फूलों का तोरण लगाएं।
  • शुभ प्रतीक: ‘ॐ’, ‘स्वस्तिक’, ‘लक्ष्मी के चरण’ जैसे शुभ प्रतीक लगाएं।

मुख्य प्रवेश द्वार के आसपास के क्षेत्र के लिए वास्तु

देहरी (Threshold)

मुख्य द्वार पर एक छोटी सी देहरी (चौखट) जरूर होनी चाहिए। यह नकारात्मक ऊर्जा को घर के अंदर आने से रोकती है।

सीढ़ियाँ (Steps)

यदि मुख्य द्वार पर सीढ़ियाँ हैं, तो उनकी संख्या विषम (odd) होनी चाहिए, जैसे 1, 3, 5, आदि।

रोशनी (Lighting)

मुख्य द्वार पर हमेशा अच्छी रोशनी होनी चाहिए। आप यहां एक सुंदर लैंप या ट्यूबलाइट लगा सकते हैं।

मुख्य प्रवेश द्वार के पास इन चीजों से बचें

  • जूते-चप्पल: जूते-चप्पल को मुख्य द्वार के ठीक सामने न रखें। उन्हें एक तरफ व्यवस्थित तरीके से रखें।
  • कूड़ेदान: मुख्य द्वार के पास कूड़ेदान न रखें।
  • कांटेदार पौधे: मुख्य द्वार के पास कांटेदार पौधे न लगाएं।

मुख्य प्रवेश द्वार के वास्तु दोष और उनके उपाय

सामान्य दोष

  • दरवाजे का बाहर की ओर खुलना: यह एक वास्तु दोष है। यदि संभव हो तो इसे ठीक करवाएं।
  • चरमराती आवाज: दरवाजे को खोलते या बंद करते समय आवाज नहीं आनी चाहिए। समय-समय पर इसकी मरम्मत करवाते रहें।
  • टूटा हुआ दरवाजा: टूटा हुआ या क्षतिग्रस्त दरवाजा तुरंत बदलवाएं।

सरल और प्रभावी उपाय

  • पिरामिड: मुख्य द्वार पर वास्तु पिरामिड रखने से कई दोष दूर होते हैं।
  • दर्पण: मुख्य द्वार के ठीक सामने दर्पण न लगाएं। यह सकारात्मक ऊर्जा को वापस बाहर भेज देता है।
  • विंड चाइम: मुख्य द्वार के पास विंड चाइम लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

मुख्य द्वार के ताले और चाबियों के लिए वास्तु

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  • मुख्य द्वार का ताला सही तरीके से काम करना चाहिए।
  • टूटे या जंग लगे तालों का उपयोग न करें।
  • चाबियों को एक व्यवस्थित की-होल्डर में रखें।

सकारात्मक ऊर्जा के लिए मुख्य द्वार की पूजा और मंत्र

  • पूजा: गृह प्रवेश के समय मुख्य द्वार की पूजा अवश्य करें।
  • मंत्र: आप सुबह-शाम मुख्य द्वार के पास खड़े होकर गायत्री मंत्र या ‘ॐ’ का जाप कर सकते हैं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

सारांश तालिका

वास्तु पहलूविवरण
शुभ दिशाएंउत्तर, ईशान, पूर्व, पश्चिम
अशुभ दिशाएंदक्षिण, नैऋत्य, आग्नेय, वायव्य
शुभ सामग्रीलकड़ी (शीशम, सागौन)
शुभ रंगदिशा के अनुसार (ऊपर दी गई तालिका देखें)
शुभ आकारआयताकार, दो पल्लों वाला
शुभ सजावटनेमप्लेट, तोरण, शुभ प्रतीक
ध्यान रखने योग्य बातेंदेहरी, विषम संख्या में सीढ़ियाँ, अच्छी रोशनी
इनसे बचेंजूते-चप्पल, कूड़ेदान, कांटेदार पौधे
दोष निवारणपिरामिड, विंड चाइम, मंत्र जाप

निष्कर्ष

मुख्य प्रवेश द्वार का वास्तु आपके घर की खुशहाली और समृद्धि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस ब्लॉग पोस्ट में दिए गए सुझावों को अपनाकर, आप अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सुनिश्चित कर सकते हैं और एक सुखी और समृद्ध जीवन जी सकते हैं। याद रखें, वास्तु एक विज्ञान है जो आपके जीवन को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है, इसलिए इसे अपनाएं और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव देखें।

FAQs

प्रश्न: क्या मुख्य द्वार के सामने दर्पण लगाना अच्छा है? उत्तर: नहीं, मुख्य द्वार के ठीक सामने दर्पण नहीं लगाना चाहिए क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा को घर में प्रवेश करने से पहले ही बाहर परावर्तित कर देता है।

प्रश्न: यदि मेरा मुख्य द्वार दक्षिण दिशा में है तो मैं क्या कर सकता हूं? उत्तर: यदि आपका मुख्य द्वार दक्षिण दिशा में है, तो आप दरवाजे पर हनुमान जी की तस्वीर या यंत्र लगा सकते हैं, दरवाजे के बाहर एक पिरामिड रख सकते हैं, और दरवाजे का रंग भूरा या नारंगी रख सकते हैं।

प्रश्न: मुख्य द्वार के लिए सबसे अच्छा पौधा कौन सा है? उत्तर: आप मुख्य द्वार के पास तुलसी, मनी प्लांट या चमेली जैसे शुभ पौधे लगा सकते हैं। कांटेदार पौधों से बचें।

प्रश्न: क्या मुख्य द्वार के पास जूते का रैक रखना ठीक है? उत्तर: जूते का रैक मुख्य द्वार के ठीक सामने नहीं होना चाहिए। इसे एक तरफ रखें और सुनिश्चित करें कि यह ढका हुआ हो।

प्रश्न: मुख्य द्वार को सजाने के लिए सबसे अच्छी चीजें क्या हैं? उत्तर: आप मुख्य द्वार को एक सुंदर नेमप्लेट, तोरण, शुभ प्रतीकों (जैसे ‘ॐ’ या ‘स्वस्तिक’), और अच्छी रोशनी से सजा सकते हैं।

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