History Of Computer: Abacus to Quantum Computers | कंप्यूटर का इतिहास
आज आप आपको History Of Computer के बारे में बताएँगे। आप कंप्यूटर का इस्तिमाल दैनिक जीवन में करते हैं लेकिन क्या आपको मालूम है कंप्यूटर का अविष्कार कैसे हुआ था और इसके इसिहास के बारे में?
कंप्यूटर का इतिहास शुरू होता है ३०० ई.पू. का है जब मनुष्य गणना करने के लिए पत्थर , उंगलियों , लकड़ी या हाथों का उपयोग करता था। धीरे – धीरे मनुष्य के दिमाग का विकाश हुआ और मनुष्य ने गणना करने वाले उपकरण का अविष्कार किया। अबेकस, नेपियर बोनस, पास्कलाइन, स्टेपड रेकनर आदि कुछ शुरुवाती कंप्यूटर हैं।
इसके बाद १७वी शताब्दी में कैलकुलेटर का अविष्कार नेपियर के किया जिसका उपयोग गणित की गणनाओ के लिए किया जाता था। 1822 में चार्ल्स बैबेज में मैकेनिकल कंप्यूटर (Analytical Engine) का अविष्कार किया इसके लिए इन्हे फादर ऑफ़ कंप्यूटर कहा जाता है।
चार्ल्स बैबेज का डिज़ाइन भविष्य के लिए एक नीव था और इसे उनके साथी गणितज्ञ Ada Lovelace के आगे बढ़ाया वे पहले कंप्यूटर प्रोग्रामर कहलाये। 20वी शताब्दी में कंप्यूटर के क्षेत्र में और विकास हुआ और मैकेनिकल से इलेक्ट्रॉनिक में परिवर्तन हुआ।
History Of Computer | कंप्यूटर का इतिहास
आइये जाने शुरुवाती गणना करने वाले उपकरण और कंप्यूटर के बारे में :
१ . अबेकस (Abacus) – 3,000 BCE
कंप्यूटिंग का इतिहास प्राचीन काल में मेसोपोटामिया में लगभग 2400 ईसा पूर्व में अबेकस के आविष्कार के साथ जुड़ा हुआ है। अबेकस गणना करने के लिए डिज़ाइन किए गए पहले उपकरणों में से एक था, इसमें कई रॉड पर मोतियों का उपयोग करके कैलकुलेशन किया जाता था। अबेकस कंप्यूटिंग के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अविष्कार था।
आज भी अबेकस का इस्तिमाल रूस, चीन और जापान में किया जाता है। अबेकस में कुछ नियमों का उपयोग करके जोड़ने, घटाने, गुणा, और भाग कर सकते हैं।
२. Napier Bones (नेपीयर बोन्स) – 17वीं से 19वीं शताब्दी
नेपीयर बोन्स एक कंप्यूटर डेविड है जो हाथी के दांत की पट्टी से बानी है। इसका अविष्कार जॉन नेपियर ने 1550-1617 के बिच किया था। इसका इस्तिमाल गणना करने के लिए किया जाता था और इसमें पहली बार दसमलव का उपयोग किया गया था। इससे गुणा, और भाग किया जाता था जिसके लिए हांथो का इस्तिमाल हॉट था।
३. Pascaline (पास्कलाइन) – 1642 से 1644
इसे अंकगणितीय मशीन (Arithmetic Machine) या जोड़ने वाली मशीन भी कहा जाता है। एक फ्रांसीसी गणितज्ञ-दार्शनिक ब्लेज़ पास्कल ने 1642 और 1644 के बीच इसका आविष्कार किया था। यह पहला मैकेनिकल और स्वचालित कैलकुलेटर था। इसका आविष्कार पास्कल ने अपने पिता, जो एक कर लेखाकार थे, को उनके काम या गणना में मदद करने के लिए किया था।
यह कम समय में जोड़ और घटा सकता था। यह गियर और पहियों की एक श्रृंखला वाला एक लकड़ी का बक्सा था। यह घूमते हुए पहिये द्वारा संचालित होता है जैसे जब एक पहिया एक चक्कर घुमाता है, तो यह साथ वाले पहिये को घुमाता है और पहियों के ऊपर पर कुल पढ़ने के लिए खिड़कियों दी गयी थीं।
४. Stepped Reckoner (स्टेपड रेकनर) – 1673
1673 में एक जर्मन गणितज्ञ-दार्शनिक गॉटफ्रीड विल्हेम लीबनिज ने इस मशीन को विकसित करने के लिए पास्कल के आविष्कार में सुधार करके इस उपकरण को विकसित किया था।
यह मूल रूप से एक डिजिटल मैकेनिकल कैलकुलेटर था, और इसे स्टेप्ड रेकनर कहा जाता था क्योंकि यह गियर के बजाय फ्लूटेड ड्रम से बना था। इसका इस्तेमाल जोड़, घटाना, गुणा और भाग करने के लिए किया जाता था।
५. Difference Engine (डिफरेंस इंजन) – 1820
चार्ल्स बैबेज ने 1820 के दशक की शुरुआत में डिफरेंस इंजन को डिज़ाइन किया था। इन्हे “Father of Computer” कहा जाता है क्योकि इनके अविष्कार के कारण आधुनिक कंप्यूटर का विकास हुआ है।
डिफरेंस इंजन एक यांत्रिक कंप्यूटर था जो सरल गणना करने में सक्षम था। यह भाप की मदद से काम करता है क्योंकि यह एक भाप से चलने वाली गणना मशीन थी, और इसे लॉगरिदम टेबल जैसी संख्याओं को हल करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
६. Analytical Engine (एनालिटिकल इंजन) – 1837
चार्ल्स बैबेज ने एनालिटिकल इंजन का अविष्कार 1837 में किया था। इसमें पंच कार्ड का इस्तिमाल किया जाता था। यहाँ गणितीय समस्या को हल कर सकता था और स्टोर करके रख सकता था। इसे जनरल पर्पस मैकेनिकल कंप्यूटर कहा जाता था।
७. Tabulating Machine (टैबूलेटिंग मशीन) – 19वीं से 20वीं शताब्दी
हरमन होलेरिथ, ने वर्ष 1890 में टैबूलेटिंग मशीन का आविष्कार किया था। टेबुलेटिंग मशीन एक इलेक्ट्रॉनिक टेबुलेटर थी जो पंच कार्ड पर आधारित थी। यह तबुलटिंग स्टेटिस्टिक्स और डेटा या सूचना को रिकॉर्ड या सॉर्ट करने में सक्षम थी।
इस मशीन का इस्तेमाल वर्ष 1890 में अमेरिकी जनगणना द्वारा किया गया था। होलेरिथ की टेबुलेटिंग मशीन कंपनी की शुरुआत होलेरिथ ने की थी और यह कंपनी बाद में वर्ष 1924 में इंटरनेशनल बिजनेस मशीन (IBM) बन गई।
8. Differential Analyzer (डिफरेंस एनालाइजर) – 1930
डिफरेंशियल एनालाइजर का आविष्कार वन्नेवर बुश ने किया था। वर्ष 1930 में संयुक्त राज्य अमेरिका में पेश किया गया पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर था। इस मशीन में वैक्यूम ट्यूब था जो गणना करने के लिए विद्युत संकेतों को स्विच करता था। यह कुछ ही मिनटों में 25 गणना कर सकता था। ये मशीन कुछ differential equations हल करने के काम भी आता था।
९. Mark I (मार्क प्रथम) – 1944
वर्ष 1937 में, कंप्यूटर के इतिहास में बड़े बदलाव तब शुरू हुए जब हॉवर्ड ऐकेन ने एक ऐसी मशीन विकसित करने की योजना बनाई जो बड़ी गणनाएँ या बड़ी संख्याओं से जुड़ी गणनाएँ कर सके। वर्ष 1944 में, IBM और हार्वर्ड के बीच साझेदारी के रूप में मार्क I कंप्यूटर बनाया गया। यह पहला प्रोग्रामेबल डिजिटल कंप्यूटर भी था जिससे कंप्यूटर की दुनिया में एक नए युग की शुरुआत हुई।
10. Atanasoff Berry Computer (ABC) – 1942
एटानासॉफ़-बेरी कंप्यूटर “एबीसी” (1942) पहला स्वचालित, इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर था। हालाँकि, इसे व्यापक रूप से “कंप्यूटर” नहीं माना जाता है। इसमें आधुनिक कंप्यूटरों की कई कमियां था; इसे एक विशेष कार्य के लिए डिज़ाइन किया गया था और यह ट्यूरिंग कम्पलीट नहीं था।
पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर (First Electronic Computer)
1१. The ENIAC – 1945
ENIAC का फुल फॉर्म “इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटर एंड कंप्यूटर” है, जिसे 1945 में पूरा किया गया था, इसे पहला जनरल पर्पस इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर माना जाता है। पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में जॉन प्रेस्पर एकर्ट और जॉन मौचली द्वारा विकसित किया गया था।
इसे प्रोग्राम करने में कई दिन लग सकते थे क्योंकि इसे बाहरी स्विच और डायल के ज़रिए प्रोग्राम किया गया था। ENIAC को अपनी पहली गणना पूरी करने में 20 सेकंड लगे, वहीँ एक मैकेनिकल कंप्यूटर को 40 घंटे लगते।
ENIAC को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना के लिए जटिल गणना करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। यह प्रति सेकंड हज़ारों ऑपरेशन करने में सक्षम था, जो इसे अपने समय के किसी भी मैकेनिकल कंप्यूटर से काफ़ी तेज़ बनाता था। आकर में यह बहुत बड़ा था, 150 किलोवाट बिजली की खपत करता था और इसे टखने के लिए एक बड़े कमरे की ज़रुरत पड़ती थी।
१२. The Colossus – 1943 से 1945
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, ब्रिटिश सरकार ने कोलोसस विकसित किया, जो एक प्रारंभिक इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर था जिसका उपयोग एनिग्मा मशीन द्वारा एनकोड किए गए जर्मन संदेशों को डिक्रिप्ट करने के लिए किया जाता था।
इंजीनियर टॉमी फ्लॉवर्स द्वारा डिज़ाइन किया गया कोलोसस पहला प्रोग्रामेबल डिजिटल कंप्यूटर था, हालाँकि यह ENIAC जैसी जनरल पर्पस वाली मशीन नहीं थी। कोलोसस के साथ किए गए काम ने मित्र देशों की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटिंग की क्षमता को दिखाया।
१३. Transistors (ट्रांसिस्टर्स) – १९४७
जॉन बार्डीन, वाल्टर ब्रैटन और विलियम शॉकली द्वारा 1947 में बेल लेबोरेटरीज में ट्रांजिस्टर के निर्माण ने कंप्यूटर में क्रांति ला दी। छोटे, अधिक तेज़ कंप्यूटर बनाये गए जो वैक्यूम ट्यूबों जगह लिए। ये इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेन्ट थे जो तेज़ काम करते थे जिन्हें ट्रांजिस्टर के रूप में जाना जाता है।
१४. Integrated Circuits (इंटीग्रेटेड सर्किट) – 1958
1958 में, जैक किल्बी और रॉबर्ट नोयस ने स्वतंत्र रूप से इंटीग्रेटेड सर्किट विकसित किया, जिससे एक ही चिप पर कई ट्रांजिस्टर और अन्य इलेक्ट्रिकल कॉम्पोनेन्ट को एक साथ लगाया गया।
इसके बनने से छोटे इलेक्ट्रॉनिक्स और माइक्रोप्रोसेसर के निर्माण का रस्ते खुल गए। इंटीग्रेटेड सर्किट के आने के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स छोटे बनने लगे और माइक्रोप्रोसेसर का निर्माण भी हुआ।
१५. Personal Computer (पर्सनल कंप्यूटर) – 1970 से 1980
सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी के आने से ही पर्सनल कंप्यूटर बन पाया। पहले ट्रांजिस्टर बने फिर उससे सिलिकॉन इंटीग्रेटेड सर्किट बने। १९७१ में फग्गन ने Silicon Gate MOS Technology का इस्तिमाल करके पहला पहला सिंगल चिप माइक्रोप्रोसेसर Intel ४००४ बनाया। इसके बाद पहला मिक्रोकंप्युटर बनाया गया माइक्रोप्रोसेसर को आधार ले कर।
शुरुवात में पर्सनल कंप्यूटर को मिक्रोकम्प्युटर कहा जाता था। ये मिक्रोकम्प्युटर व्यावसायिक थे और सस्ते थे जिसका इस्तिमाल छोटे उद्योग और पर्सनल काम के लिए इस्तिमाल किया जाने लगा, इसे ज्यादातर तकनीशियन आपने काम के लिए इस्तिमाल करते थे। इसमें थोड़े बहुत प्रोग्रामिंग के काम होते थे जिसमे टॉगल बटन के द्वारा इंस्ट्रक्शन दिए जाते है और आउटपुट फ्रंट पैनल में डिस्प्ले होता है।
१९८० में छोटे पर्सनल कम्प्यूटर्स बनाये जिसका इस्तिमाल पर्सनल काम के लिए घरों में किया सके। इन कम्प्यूटर्स में सॉफ्टवेयर थे प्रोडक्टिविटी के लिए , इसमें प्रोग्रामिंग किया जा सकता था और गेम्स खेल जा सकते थे। आगे चलकर प्रैक्टिकल इस्तिमाल के लिए कंप्यूटर में पेरिफरल जोड़े गए जैसे कंप्यूटर डिस्प्ले , डिस्क ड्राइव और प्रिंटर।
१६. Internet and World Wide Web (इंटरनेट और वर्ल्ड ऐड वेब) – 1990
इंटरनेट के आने से और वर्ल्ड वाइड वेब के विकास से मानव जाती में काफी फायदा हुआ। कंप्यूटिंग एक दूसरे से जुड़े उपकरणों का एक विशाल नेटवर्क बन गया। इंटरनेट एक वर्ल्डवाइड सिस्टम है जिसमे कंप्यूटर नेटवर्क और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण एक दूसरे से संचार करने के लिए जुड़े होते हैं, इसमें एक दूसरे से संचार करने के लिए प्रोटोकॉल का इस्तिमाल होता है। इसमें वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) का इस्तिमाल जानकारी शेयर करने के लिए इंटीमल किया जाता है।
टिम बर्नर्स-ली ने इनफार्मेशन शेयर करने के लिए और इंटरनेट ब्राउज़िंग के लिए HTTP, HTML और URL प्रोटोकॉल बनाए। इंटरनेट के आने से कंप्यूटर का इस्तिमाल ज्यादा किया जाने लगा। इंटरनेट इनफार्मेशन से भरा हुआ था और इसके द्वारा आप लोगों से आसानी से मैसेज भेज सकते थे।
17. Mobile and cloud computing (मोबाइल कंप्यूटिंग और क्लाउड कंप्यूटिंग)
स्मार्टफोन और टैबलेट के आने से वायरलेस तकनीक में प्रगति हुई। मोबाइल कंप्यूटिंग से वायरलेस टेक्नोलॉजी में क्रांति आयीं। ये टेक्नोलॉजी मोबाइल कंप्यूटिंग के उपयोग को सुविधाजनक बनाने में मदद की। इसके अलावा, क्लाउड कंप्यूटिंग का भी विकास हुआ, जो इंटरनेट के माध्यम से कंप्यूटिंग संसाधनों तक स्केलेबल और ऑन-डिमांड पहुंच प्रदान करता है
Mobile Computing में पोर्टेबल उपकरणों को वायरलेस नेटवर्क से जोड़ने की क्षमता है, ताकि चलते-फिरते डेटा और सेवाओं का उपयोग किया जा सके। Cloud Computing में स्टोरेज, सर्वर, नेटवर्किंग और सॉफ्टवेयर जैसी कंप्यूटिंग सेवाओं को आवश्यकतानुसार इंटरनेट पर उपलब्ध कराया जाता है।
१८. Quantum computers (क्वांटम कंप्यूटर) – वर्त्तमान में
क्वांटम कंप्यूटर ऐसी मशीनें हैं जो डेटा संग्रहीत करने और गणना करने के लिए क्वांटम फिजिक्स का इस्तिमाल करती हैं। क्वांटम कंप्यूटिंग अत्याधुनिक कंप्यूटर विज्ञान का एक उभरता हुआ क्षेत्र है जो क्वांटम मैकेनिक्स के फीचर्स का उपयोग करती है। इसका कैलकुलेशन सटीक और तेज़ होता है की ये जटिल समस्यों को एक सुपर कंप्यूटर को भी पीछे छोड़ सकती है।
हम आशा करते हैं की आपको History of Computer के बारे में उपयोगी जानकारी मिली होगी। अगर आपके कोई सवाल हैं तो निचे कमेंट करके बताएं।
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